Saturday, July 19, 2008

जिस्म और जान

जिस्म और जान बिक चुके होंगे।
दीन ओ ईमान बिक चुके होंगे।

इन दिनों मण्डियों में रौनक है;
खेत खलिहान बिक चुके होंगे।

मन्दिरों मस्जिदों के सौदे में
राम ओ रहमान बिक चुके होंगे।

कँस बेख़ौफ़ घूमता है अब ,
क्रष्ण भगवान बिक चुके होंगे।

ताजिरों का निज़ाम है; इसमें
सारे इन्सान बिक चुके होंगे।

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