Saturday, July 19, 2008

कोई साँसों में

कोई साँसों में मेरी कँवल बो गया।
और फिर जा के जाने कहाँ खो गया।

एक बच्चा मुझे देख कर हँस दिया;
आज का मेरा दिन तो ग़ज़ल हो गया।

दिल को मालूम था तुम चले जाओगे
चन्द लमहों को फिर भी बहल तो गया।

उसके गिरने का चर्चा सभी ने किया
ये न देखा कि गिर के सँभल तो गया।

आबले पाँव के हमकदम हो गये;
ज़िन्दगी का सफ़र कुछ सहल हो गया।

2 comments:

  1. अमर जी बहुत बेहतरीन गजल है।

    उसके गिरने का चर्चा सभी ने किया
    ये न देखा कि गिर के सँभल तो गया।

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  2. amar ji..

    How R u..? I M Palak..
    maine abhi abhi aap ki sab post padhi it is lovely.. bus jyada kuch nahi kehna aap ko itna hi ki keep posting..

    Palak

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