Monday, August 11, 2008

कहां गए

कहां गए वो लड़कपन के ख़्वाब, मत पूछो;
कड़ा सवाल है, इसका जवाब मत पूछो।

अकेले मेरे दुखों की कहानियां छोड़ो;
समंदरों में लहर का हिसाब मत पूछो।

मुबारकों की रवायत है कामयाबी पर,
कि कौन कैसे हुआ कामयाब, मत पूछो।

जो हर कदम पे मेरे साथ है, वो तनहाई
मेरा नसीब है या इंतख़ाब, मत पूछो।

अमावसों में चराग़ों का इंतज़ाम करो;
कहां फ़रार हुआ आफ़ताब मत पूछो।

3 comments:

  1. बहुत बढिया रचना लिखी है।बधाई।


    अकेले मेरे दुखों की कहानियां छोड़ो;
    समंदरों में लहर का हिसाब मत पूछो।

    मुबारकों की रवायत है कामयाबी पर,
    कि कौन कैसे हुआ कामयाब, मत पूछो

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  2. सुंदर रचना....सुंदर भाव
    अकेले मेरे दुखों की कहानियां छोड़ो;
    समंदरों में लहरों का हिसाब मत पूछो।
    अति उत्तम

    http://nitishraj30.blogspot.com
    http://poemofsoul.blogspot.com

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