Saturday, August 16, 2008

फूल किसी जंगल का

फूल किसी जंगल का आँसू;
क़तरा है बादल का आँसू।

सदियों की सूखी आँखों से,
आज अचानक छलका आँसू।

मुस्कानों के सारे परदों
के पीछे से झलका आँसू।

बेमन से घर छोड़ा शायद;
थमा रहा, फिर ढलका आँसू।

रुका-रुका सा खोज रहा है-
छोर किसी आँचल का आँसू।

2 comments:

  1. सुंदर शब्दचित्र खींचा है,
    ठहरे हुए आंसुओं का !
    डाक्टर कैसे बने यार तुम!
    ह्रदय मिला तुमको कवि का !

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  2. bahut hi sunder hai poori ghazal
    "रुका-रुका सा खोज रहा है-
    छोर किसी आँचल का आँसू।" --is pe aansoo aagaye dr.!

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